Saturday 11 June 2016

11 JUN 1955 RAM KUMAR VERMA

Ram Kumar Verma - श्री राम कुमार वर्मा

पिता :डॉ अवधेश कुमार वर्मा (Dr. Avdhesh Kumar verma)
जन्मतिथि :1955-06-11 
शहर /जिला: Present Address - Ram kumar Verma Pratappur Naka, Ambikapur, Distt Surguja ,Chhattisgarh pin 497001 मो।+919329485480 
vishalaward@gmail.com
 
शिक्षा :कवि, लेखक 
पता :919329485480 
कार्यक्षेत्र : 
जीवन सफ़र:श्री राम कुमार वर्मा (Shri Ram kumar verma) को हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप मे पहचान प्राप्त है। श्री वर्मा जी का जन्म 11 जून 1955 को मध्यप्रदेश राज्य के बिलासपुर (Bilaspur) शहर के कायस्थ परिवार में हुआ, वर्तमान में अब यह छत्तीसगढ (chhattisgarh) राज्य का हिस्सा है| इन्होने हास्य और व्यंग्य दोनो विधाओ में समान रूप से कलम चलायी है| इनके पिताजी का नाम डॉ अवधेश कुमार वर्मा व माताजी का नाम श्रीमती चंद्रवंशी वर्मा है| इनके साहित्य साधना में इनकी पत्नी श्रीमती कौशल्या वर्मा व इनके दो सुपुत्र क्रमशः श्री विशाल वर्मा और श्री वैभव वर्मा का विशेष सहयोग रहा | श्री वर्मा जी का बचपन और शिक्षण बिलासपुर शहर मे हुआ, तथा वर्तमान मे भरण पोषण हेतु सन् 1980 के लगभग वे सरगुजा(surguja) जिले के अंबिकापुर(Ambikapur) नामक एक छोटे से शहर में बस गये| तथा अपनी साहित्य साधना में भी जुटे रहे | रिश्ते में आप साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त राज्य सभा सदस्य श्रीकांत वर्मा जी के भतीजे हैं आपकी रचनाये समय समय पर विभिन्न समाचारपत्रो, तथा अन्य पत्र पत्रिकाओ में भी छपती रहीं, इन्होने अपनी भाषा शैली का माध्यम राष्ट्र भाषा हिन्दी(hindi) को चुना | आपको अपनी उच्च कोटि की लेखनी के लिए समय समय पर विभिन्न पुरस्कार और सम्मान तो मिलते रहे परंतु अपने जीवन का पहला पुरस्कार जिसने इनके साहित्य साधना में मील के पत्थर की भूमिका अदा की वो थी 19 अप्रेल 1998 को सर्वोत्तम रचना के तहत दूरदर्शन भोपाल द्वारा प्रथम पुरस्कार स्वरूप गोल्ड मेडल व प्रमाण पत्र का मिलना, उसी वर्ष 12 जून 1998 को डॉ प्रेम साय सिंह राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री मध्यप्रदेश शासन द्वारा पदक एवं प्रशस्ति पत्र दे इनका सम्मान किया गया | फिर इन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा, और अगले ही वर्ष 20 सितंबर 2002 को लिखित पत्र द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत शासन(President oF India) से सराहना एवं आशीष पत्र प्राप्त किया | 27 अगस्त 1999 , 25 जून 2001, 27 मार्च 2003 के लिखित पत्र द्वारा माननीय प्रधानमंत्री महोदय से सराहना एवं आशीष प्राप्त किया |श्री राम कुमार वर्मा जी को महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री के आर नारायणन जी, महामहिम राष्ट्रपति महोदय डाक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी,माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी,माननीय प्रधानमंत्री महोदय श्री मनमोहन सिंह जी सहित भारत वर्ष के चारो दिशाओ के महामहिम राज्यपाल महोदय , और मुख्यमंत्रीजी से लिखित मे शुभकामना और प्रशंसा पत्र प्राप्त हुआ हैं| श्री वर्मा जी को सन् 200४ मे छत्तीसगढ अस्मिता प्रतिष्ठान रायपुर द्वारा संत कवि पवन दीवान जी से छत्तीसगढी कविता के लिए अस्मिता शंखनाद पुरस्कार दिया गया । सन् 2005 में रायपुर दूरदर्शन से इनके साक्षात्कार का सीधा प्रसारण भी किया गया. {साक्षात्कार की रिकॉर्डिंग को दुबारा देखने के लिए यहाँ क्लिक करे} और फिर इसी क्रम में एक के बाद एक मोती पिरोते चले गये | आप माँ वीणा वादिनी के सच्चे साधक और देवी दुर्गा और काली जी के अनन्य भक्तों मे से एक हैं| आपने छत्तीसगढ हिन्दी साहित्य परिषद जो की छत्तीसगढ राज्य की राजधानी रायपुर की जानीमानी वरिष्ठ साहित्यकारों से सुसज्जित साहित्य समिति है के प्रदेश सचिव के पद को भी सुशोभित किया है | आपको साहित्य रत्न की उपाधि से भी नवाजा गया है | तथा आपको "शिव संकल्प साहित्य परिषद", नर्मदापुरम होशंगाबाद मध्यप्रदेश द्वारा २ फ़रवरी २००९ को आपकी साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, व सामाजिक सेवा के लिए "व्यंगय वैभव" की सम्मानोपाधिसे अलंकृत किया है| 
उपलब्धिया-सम्मान: गोल्ड मेडलिस्ट ,लिखित पत्र द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत शासन तथा माननीय प्रधानमंत्री महोदय से सराहना एवं आशीष. "छत्तीसगढ हिन्दी साहित्य परिषद" रायपुर छत्तीसगढ के प्रदेश सचिव.(State Secratory of "Chhattisgarh Hindi sahitya parishad") Notable award(s)-Gold medalist,Sahitya ratan 
विशेष :रचनाएँ
आपकी पुस्तक वक्त जो की अभी पांडुलिपि की शक्ल मे है की कुछ पंक्तियाँ-
कठोर कर्म की गर्मी आगे,
कठिन वक्त पिघलता है,
वक्त से पहले किस्मत से ज़्यादा
कर्मवीर को मिलता है.

श्रॄष्टी जिसकी न्यायालय है,
वक्त बना है न्यायाधीश.
पर ब्रह्म परमेश्वर भी ,
जहाँ झुकाते अपना शीश.

समय, काल , मियाद अवसर ,
सब वक्त के पर्याय हैं,
हर शब्द तोड़कर देखा तब,
सब अपने में अध्याय हैं.

हर ताज बना है सर के खातिर ,
हर सर नहीं है ताज को.
पर वक्त तो बेताज है
नहीं ताज मोहताज को.

सतयुग मे श्री हरीशचंद्र को,
वक्त ने राजा बनवाया,
जानें कहाँ क्या भूल हुई,
की डोम के हाथो. बिकवाया.

शिव शंकर कैलाश पति,
महादेव कहलाते थे,
वक्त की ही मार थी,
जो सती-सती चिल्लाते थे.

रामा और कृष्णा भी प्यारे
वक्त के अधीन हुए.
तीन लोक की शक्ति थी,
फिर भी कितने दिन हुए.

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