21 MAY 1937-5 SEP 1991 SHARAD JOSHI
शरद जोशी | Sharad Joshi
हिन्दी के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी का जन्म 21 मई 1931 को उज्जैन, मध्यप्रदेश में हुआ था। शरद जोशी ने मध्य प्रदेश सरकार के सूचना एवं प्रकाशन विभाग में काम किया लेकिन अपने लेखन के कारण इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और लेखन को ही पूरी तरह से अपना लिया। आपने इन्दौर में रहते हुए समाचारपत्रों और रेडियो के लिए लेखन किया। इन्दौर में ही इनकी इरफाना सिद्दकी से जानकारी हुई जिनसे इन्होंने बाद में शादी की।
आपने कुछ कहानियाँ भी लिखी लेकिन आप व्यंग्य लेखन में ही स्थापित हुए।
1951 से 1956 तक आपने नई दुनिया के लिए लगातार व्यंग्य स्तंभ लिखा।
इनकी कहानियों पर आधारित 'लापतागंज' धारावाहिक भी बनाई गई है।
व्यंग्य संग्रह : परिक्रमा, किसी बहाने, तिलिस्म, रहा किनारे बैठ, मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ, दूसरी सतह, हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे, यथासंभव, जीप पर सवार इल्लियाँ
फिल्म लेखन : क्षितिज, छोटी-सी बात, सांच को आंच नही, गोधूलि, उत्सव
धारावाहिक लेखन : ये जो है जिन्दगी, विक्रम बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, देवी जी, प्याले में तूफान, दाने अनार के, ये दुनिया गजब की
फिल्म लेखन : क्षितिज, छोटी-सी बात, सांच को आंच नही, गोधूलि, उत्सव
धारावाहिक लेखन : ये जो है जिन्दगी, विक्रम बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, देवी जी, प्याले में तूफान, दाने अनार के, ये दुनिया गजब की
आपने नई दुनिया, कादम्बरी, ज्ञानोदय, रविवार, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स जैसी पत्र-पत्रिकाओं के लिए काफी लिखा। नवभारत टाइम्स का 'प्रतिदिन' स्तंभ काफी लोकप्रिय रहा और यह लगातार सात साल तक चला।
1990 में आपको पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। मध्यप्रदेश सरकार ने आपके नाम पर शरद जोशी सम्मान आरंभ किया है।
5 सितम्बर 1991 को मुंबई में उनका निधन हो गया।
Author's Collection
Total Number Of Record :4चौथा बंदर - शरद जोशी
एक बार कुछ पत्रकार और फोटोग्राफर गांधी जी के आश्रम में पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि गांधी जी के तीन बंदर हैं। एक आंख बंद किए है, दूसरा कान बंद किए है, तीसरा मुंह बंद किए है। एक बुराई नहीं देखता, दूसरा बुराई नहीं सुनता और तीसरा बुराई नहीं बोलता। पत्रकारों को स्टोरी मिली, फोटोग्राफरों ने तस्वीरें लीं और आश्रम से चले गए।
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1968-69 के वे दिन
(यह लेख सौ वर्ष बाद छपने के लिए है)
आज से सौ वर्ष पहले अर्थात 1969 के वर्ष में सामान्य व्यक्ति का जीवन इतना कठिन नहीं था जितना आज है। न ऐसी महँगाई थी और न रुपयों की इतनी किल्लत। सौ वर्ष पूर्व यानी लगभग 1968 से 1969 के काल की आर्थिक स्थिति संबंधी जो सामग्री आज उपलब्ध है उसके आधार पर जिन तथ्यों का पता चलता है वे सचमुच रोचक हैं। यह सच है कि आम आदमी का वेतन कम था और आय के साधन सीमित थे पर वह संतोष का जीवन बिताता था और कम रुपयों में उसकी जरूरतें पूरी हो जाती थीं।
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सरकार का जादू : जादू की सरकार
जादूगर मंच पर आकर खड़ा हो गया। वह एयर इंडिया के राजा की तरह झुका और बोला, ''देवियो और सज्जनो, हम जो प्रोग्राम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं, वह इस मुलुक का, इस देश का प्रोग्राम है जो बरसों से चल रहा है और मशहूर है। आप इसे देखिए और हमें अपना आशीर्वाद दीजिए।" इतना कहकर जादूगर ने झटके से सिर उठाया और जोरदार पाश्र्व संगीत बजने लगा।
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अतिथि! तुम कब जाओगे
तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान!
तुम जिस सोफे पर टाँगें पसारे बैठे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर लगा है जिसकी फड़फड़ाती तारीखें मैं तुम्हें रोज दिखा कर बदल रहा हूँ। यह मेहमाननवाजी का चौथा दिन है, मगर तुम्हारे जाने की कोई संभावना नजर नहीं आती। लाखों मील लंबी यात्रा कर एस्ट्रॉनॉट्स भी चाँद पर इतने नहीं रुके जितने तुम रुके। उन्होने भी चाँद की इतनी मिट्टी नहीं खोदी जितनी तुम मेरी खोद चुके हो। क्या तुम्हें अपना घर याद नहीं आता? क्या तुम्हें तुम्हारी मिट्टी नहीं पुकारती?
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रचनाकार: शरद जोशी | Sharad Joshi | |||||
तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान!
तुम जिस सोफे पर टाँगें पसारे बैठे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर लगा है जिसकी फड़फड़ाती तारीखें मैं तुम्हें रोज दिखा कर बदल रहा हूँ। यह मेहमाननवाजी का चौथा दिन है, मगर तुम्हारे जाने की कोई संभावना नजर नहीं आती। लाखों मील लंबी यात्रा कर एस्ट्रॉनॉट्स भी चाँद पर इतने नहीं रुके जितने तुम रुके। उन्होने भी चाँद की इतनी मिट्टी नहीं खोदी जितनी तुम मेरी खोद चुके हो। क्या तुम्हें अपना घर याद नहीं आता? क्या तुम्हें तुम्हारी मिट्टी नहीं पुकारती?
जिस दिन तुम आए थे, कहीं अंदर ही अंदर मेरा बटुआ काँप उठा था। फिर भी मैं मुस्कराता हुआ उठा और तुम्हारे गले मिला। मेरी पत्नी ने तुम्हें सादर नमस्ते की। तुम्हारी शान में ओ मेहमान, हमने दोपहर के भोजन को लंच में बदला और रात के खाने को डिनर में। हमने तुम्हारे लिए सलाद कटवाया, रायता बनवाया और मिठाइयाँ मँगवाईं। इस उम्मीद में कि दूसरे दिन शानदार मेहमाननवाजी की छाप लिए तुम रेल के डिब्बे में बैठ जाओगे। मगर, आज चौथा दिन है और तुम यहीं हो। कल रात हमने खिचड़ी बनाई, फिर भी तुम यहीं हो। आज हम उपवास करेंगे और तुम यहीं हो। तुम्हारी उपस्थिति यूँ रबर की तरह खिंचेगी, हमने कभी सोचा न था।
सुबह तुम आए और बोले, "लॉन्ड्री को कपड़े देने हैं।" मतलब? मतलब यह कि जब तक कपड़े धुल कर नहीं आएँगे, तुम नहीं जाओगे? यह चोट मार्मिक थी, यह आघात अप्रत्याशित था। मैंने पहली बार जाना कि अतिथि केवल देवता नहीं होता। वह मनुष्य और कई बार राक्षस भी हो सकता है। यह देख मेरी पत्नी की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। तुम शायद नहीं जानते कि पत्नी की आँखें जब बड़ी-बड़ी होती हैं, मेरा दिल छोटा-छोटा होने लगता है।
कपड़े धुल कर आ गए और तुम यहीं हो। पलंग की चादर दो बार बदली जा चुकी और तुम यहीं हो। अब इस कमरे के आकाश में ठहाकों के रंगीन गुब्बारे नहीं उड़ते। शब्दों का लेन-देन मिट गया। अब करने को को चर्चा नहीं रही। परिवार, बच्चे, नौकरी, राजनीति, रिश्तेदारी, पुराने दोस्त, फिल्म, साहित्य। यहाँ तक कि आँख मार-मार कर हमने पुरानी प्रेमिकाओं का भी जिक्र कर लिया। सारे विषय खत्म हो गए। तुम्हारे प्रति मेरी प्रेमभावना गाली में बदल रही है। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम कौन सा फेविकॉल लगा कर मेरे घर में आए हो?
पत्नी पूछती है, "कब तक रहेंगे ये?" जवाब में मैं कंधे उचका देता हूँ। जब वह प्रश्न पूछती है, मैं उत्तर नहीं दे पाता। जब मैं पूछता हूँ, वो चुप रह जाती है। तुम्हारा बिस्तर कब गोल होगा अतिथि?
मैं जानता हूँ कि तुम्हें मेरे घर में अच्छा लग रहा है। सबको दूसरों के घर में अच्छा लगता है। यदि लोगों का बस चलता तो वे किसी और के घर में रहते। किसी दूसरे की पत्नी से विवाह करते। मगर घर को सुंदर और होम को स्वीट होम इसीलिए कहा गया है कि मेहमान अपने घर वापिस लौट जाएँ।
मेरी रातों को अपने खर्राटों से गुँजाने के बाद अब चले जाओ मेरे दोस्त! देखो, शराफत की भी एक सीमा होती है और गेट आउट भी एक वाक्य है जो बोला जा सकता है।
कल का सूरज तुम्हारे आगमन का चौथा सूरज होगा। और वह मेरी सहनशीलता की अंतिम सुबह होगी। उसके बाद मैं लड़खड़ा जाऊँगा। यह सच है कि अतिथि होने के नाते तुम देवता हो, मगर मैं भी आखिर मनुष्य हूँ। एक मनुष्य ज्यादा दिनों देवता के साथ नहीं रह सकता। देवता का काम है कि वह दर्शन दे और लौट जाए। तुम लौट जाओ अतिथि। इसके पूर्व कि मैं अपनी वाली पर उतरूँ, तुम लौट जाओ।
उफ! तुम कब जाओगे, अतिथि!
- शरद जोशी Search ResultsShri Sharad Joshi ji's LIVE recording digitally remastered by Aalok ...
https://www.youtube.com/watch?v=ZTZTy5gFpEU
Sep 8, 2011 - Uploaded by Aalok Bajpai
@richasharadjoshi Have read your details on the blog .I am interested in sharad joshi ji's audio casates or ...Sharad Joshi ( Cat-Man-Dooo ) - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=FJF2WBhn5zI
Jun 12, 2013 - Uploaded by Sharad Joshi
www.sharad-joshi.com Sharad Joshi is a guitarist from Nepal. He plays (mostly own compositions) with ...Paani Kee Samsya- by sharad joshi - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=ZEE5AjtQ0uI
Sep 9, 2014 - Uploaded by HindiAudiostories
water crisis- paani kee samasya -vyangya by sharad joshi.SHARAD JOSHI - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=Iy5Nw2zPrj0
May 14, 2012 - Uploaded by Film Writers Association
SHARAD JOSHI. Film Writers Association ... Main Olympic nahin gaya BySharad Joshi in his own ...Rail Yatra - Sharad Joshi ( रेल यात्रा / शरद जोशी ) - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=szcaEZT-Kb0
Dec 22, 2015 - Uploaded by Sahitya Studio
Sarcasm on Indian Railways By Sharad Joshi. Sharad Joshi was a Hindi poet, writer, satirist and a dialogue ...Sharad Joshi - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=fpGR0eILCL4
Sep 4, 2014 - Uploaded by Sukhdev Singh
Main Olympic nahin gaya By Sharad Joshi in his own voice ... Dr.Jayaprakash Narayan and Sharad Joshi ...Food Security- free food is not the answer -- Sharad Joshi - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=MHEFajeJ6eo
Apr 1, 2012 - Uploaded by IndianExpressOnline
Sharad Joshi, Agriculturist and founder of Shetkari Sanghatana argued that free food is not necessarily the ...Sharad Joshi - YouTube
https://www.youtube.com/user/shannhoo
Sharad Joshi uploaded a video 3 weeks ago. 11:38. Play next; Play now ... of National Anthem of Nepal. Sharad Joshi subscribed to a channel 1 month ago ...Sharad Joshi On Samwad Part_1.mp4 - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=BdFpQF7S0-E
May 10, 2010 - Uploaded by raju parulekar
Sharad Joshi On Samwad Part_1.mp4 ... Dr.Jayaprakash Narayan and Sharad Joshi attending ...Shaadi Ka Nimantran Paakar by Sharad Joshi - YouTube
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Apr 2, 2014 - Uploaded by Bhuvan Joshi
Shaadi Ka Nimantran Paakar by Sharad Joshi. ... Main Olympic nahin gaya BySharad Joshi in his ...
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Sharad Joshi - Wikipedia, the free encyclopedia
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Sharad Joshi was a Hindi poet, writer, satirist and a dialogue and scriptwriter in Hindi films and television. He was awarded the Padma Shri in 1990.
शरद जोशी का जीवन-परिचय | Sharad Joshi
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शरद जोशी | Sharad Joshi. हिन्दी के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी का जन्म 21 मई 1931 को उज्जैन, मध्यप्रदेश में हुआ था।Shri Sharad Joshi
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May 21, 2010 - शरद जोशी अपने समय के अनूठे व्यंग्य रचनाकार थे। अपने वक्त की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक ...योद्धा शेतकरी | शेतकरी तितुका एक एक...!
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Dec 15, 2015 - Sharad Joshi. "पंचप्राण हरपले". शेतकऱ्यांचा सूर्य मावळला. शेतकरी, शेतमजूर यांच्या हक्कांसाठी जन्मभर लढलेले ...Sharad Joshi Biography, Sharad Joshi Bio data, Profile, Videos, Photos
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Sharad Joshi – the name at once inspires a chuckle and a smile. Most Indians, especially those in the Hindi belt have grown up enjoying his great satirical wit, ...Sharad Joshi's family, Tamil writer say no to Padma honour | The ...
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Jan 26, 2016 - Well-known Tamil writer B Jeyamohan, the family of late Shetkari Sanghatana founderSharad Joshi and journalist Virendra Kapoor are learnt ...
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